द फॉलोअप डेस्क
महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक अदालत ने 2018 में एक नाबालिग लड़की का अपहरण करने और उसके साथ दुष्कर्म करने के एक मामले में 26 वर्षीय आरोपी को यह कहते हुए बरी कर दिया कि दोनों के बीच शारीरिक संबंध सहमति से बने प्रतीत होते हैं। अदालत ने कहा, ‘अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा है कि आरोपी ने किसी भी तरह से पीड़िता का अपहरण किया है। यहां तक कि पीड़िता ने भी कोई प्रतिरोध नहीं किया, क्योंकि वह आरोपी से प्यार करती थी। इसके बाद पीड़िता और आरोपी के बीच जो शारीरिक संबंध बने, वे भी सहमति से बने प्रतीत होते हैं।’
विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो अधिनियम मामले) रूबी यू मालवणकर ने 21 सितंबर को अपने आदेश में कहा कि पीड़िता उस समय पर बच्ची नहीं थी, इसलिए यह अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम का मामला नहीं बनता। आदेश में कहा गया है कि अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ आरोप साबित करने में विफल रहा है, इसलिए आरोपी को संदेह का लाभ दिया जाना चाहिए।
अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि 11 अप्रैल, 2018 को पीड़िता ठाणे जिले में उस जगह से लापता हो गयी थी जहां वह घरेलू सहायिका के रूप में काम करती थी। लड़की की उम्र उस समय 17 वर्ष की थी। पीड़िता को जिले के भयंदर इलाके के उत्तान में एक झुग्गी बस्ती में पाया गया। उसके बयान के आधार पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ अपहरण, बलात्कार, धमकी देने और पॉक्सो अधिनियम के प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की।
आरोपी के वकील ने मामले को अदालत में चुनौती दी। अदालत ने कहा कि पीड़िता ने दावा किया है कि उसे आरोपी के एक रिश्तेदार के घर ले जाया गया जहां कई बार उसके साथ दुष्कर्म किया गया। हालांकि, उसकी गवाही से पता चला कि दोनों के बीच सहमति से शारीरिक संबंध बने थे और वह आरोपी से शादी करना चाहती थी।